जशपुर/सन्ना: जिले के सन्ना गांव में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत मुफ्त शिक्षा मिलने के बावजूद यहां के निजी स्कूल संत जोसेफ इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल द्वारा पालकों से 3100 रुपए का अवैध फीस वसूली हो रही है।
भारत में साल 2010 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ. इसका उद्देश्य है 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना है, साथ ही शिक्षा के समान अवसर का अधिकार प्रदान करना है, इस कानून के लागू होने के बाद उम्मीद ये थी कि शिक्षा में समानता आएगी और हर वर्ग के बच्चों को शिक्षा के समान अवसर मिलेंगे, इसमें एक और जरूरी बात सुनिश्चित की गई है. वो ये है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी, लेकिन सवाल ये है कि कानून के लागू होने के 15 साल बाद जमीनी हालात कुछ बदले…? शायद नहीं….

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में पालकों के जागरूकता के अभाव में उनसे अवैध फीस वसूली के मामले सामने आ रहे हैं. दरअसल, जशपुर जिले के सन्ना गांव में हम कुछ ऐसे ही पालकों से मिले, जिन्होंने RTE के तहत एडमिशन पाने के बावजूद उक्त निजी स्कूल की 3100 रुपए शुल्क चुकाई है. इसमें न सिर्फ नियमों के अनदेखी की बात है, बल्कि इंसानियत के तार-तार होने की घटना है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जब हमने संत जोसेफ इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल सन्ना के प्राचार्य जसिंता से बात की तो उन्होंने बिना झिझक के कहा यहां तो पहले से ही फीस लिया जाता रहा है तो इस बार भी लिया गया है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा..
जब मामले की जानकारी बगीचा के विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुदर्शन पटेल को दी गई तो उन्होंने कहा.. शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत दाखिल हुए विद्यार्थियों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेना है। अगर ऐसा हुआ है तो गंभीरता से जांच कर कार्यवाही किया जाएगा ।