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प्राचार्य प्रो. (डॉ.) अमरेंद्र ने लिया संज्ञान: कॉलेज के बगल वाली ‘बाकी नदी’ को बनाया ‘छठ घाट’, प्रकृति की पूजा को दिया एक नया आयाम!


[जशपुर]- पूरे विश्व में प्रकृति की उपासना का अद्वितीय पर्व ‘छठ पूजा’ इस वर्ष एक नए और प्रेरक अध्याय के साथ सुर्खियों में है। शासकीय रामभजन राय एन.ई.एस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर के दूरदर्शी प्राचार्य प्रो. डॉ. अमरेंद्र ने छठ पूजा के महत्व को समझते हुए एक अनुकरणीय पहल की है। उन्होंने कॉलेज के ठीक नीचे बहने वाली स्थानीय ‘बाकी नदी’ के घाट की व्यापक सफाई करवाकर उसे छठ व्रतियों के लिए एक बढ़िया’ घाट के रूप में तैयार करवाया है।।


प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश
छठ पूजा, जो कि सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के माध्यम से प्रकृति और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का एकमात्र पर्व है, इस पहल के केंद्र में है। प्राचार्य प्रो. डॉ. अमरेंद्र ने न केवल घाट की सफाई पर संज्ञान लिया, बल्कि व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी भी की।
प्रो. डॉ. अमरेंद्र ने कहा, “छठ पूजा हमें सिखाती है कि हम प्रकृति को सहेजें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्षों से यह घाट उपेक्षित था। पहली बार हमने यहां ध्यान दिया है, ताकि हमारी छठ व्रती माताओं और बहनों को पूजा के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित स्थान मिल सके। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सहयोग का संदेश है।”


छात्रों के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ की नई दिशा
इस कार्य को और भी व्यापक आयाम देने के लिए, प्राचार्य ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। व्रतियों की सुविधा के लिए महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (रासेयो) के कार्यकर्ताओं को घाट पर तैनात किया जाएगा।


प्राचार्य ने जोर देकर कहा, “हमारे विद्यार्थी केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें। उन्हें सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से सहयोग करना सीखना चाहिए। रासेयो के कार्यकर्ता यहां सेवा देंगे, जिससे वे सामुदायिक ज़िम्मेदारी और समर्पण का पाठ पढ़ेंगे। यह उनके व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है।”


वर्षों बाद ‘बाकी नदी’ को मिला जीवनदान
स्थानीय लोगों के अनुसार, बाकी नदी का यह हिस्सा वर्षों से गंदगी और उपेक्षा का शिकार था। प्राचार्य अमरेंद्र के इस सक्रिय ध्यान से न केवल घाट की सुंदरता लौटी है, बल्कि नदी के प्रति भी एक नई जागरूकता पैदा हुई है। छठ व्रतियों में इस बात को लेकर विशेष उत्साह है कि उन्हें पहली बार इतनी साफ-सुथरी और व्यवस्थित जगह मिली है।


यह पहल दर्शाती है कि उच्च शिक्षा संस्थान केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत भी हो सकते हैं। प्रो. डॉ. अमरेंद्र की इस बढ़िया सामाजिक सोच ने न केवल छठ व्रतियों को शुभकामनाएं दी हैं, बल्कि पूरे समाज के सामने एक मिसाल कायम की है कि प्रकृति की पूजा का अर्थ, प्रकृति की रक्षा करना भी है। इस महत्वपूर्ण कार्य में प्राध्यापिका डॉ. सरिता निकुंज प्रो. प्रवीण सतपथी, प्रो. सूर्यवंशी एवं नगरपालिका अध्यक्ष श्री अरविंद भगत जी का पूरा_पूरा समर्थन और सहयोग मिला ।

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