जशपुर/दोकडा – जशपुर जिले के ऐतिहासिक व प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर दोकड़ा में इस वर्ष भी रथ यात्रा का आयोजन पूरे भव्यता और श्रद्धा के साथ किया जा रहा है। गुरुवार, 27 जून को भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा के रथ को हजारों श्रद्धालु भक्तिभाव से खींचेंगे।
इस वर्ष की रथ यात्रा में सबसे बड़ा विशेष आकर्षण यह रहेगा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय स्वयं गजपति महाराजा की परंपरागत भूमिका निभाएंगे। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय भी इस पवित्र अवसर पर उपस्थित रहेंगी। यह आयोजन ओडिशा के पुरी धाम की परंपरा के अनुरूप आयोजित किया जाएगा, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है।
1942 से चली आ रही है परंपरा, सतपथी दंपति ने रखी थी नींव
दोकड़ा में रथ यात्रा की शुरुआत सन् 1942 में हुई थी। इसकी नींव स्वर्गीय सुदर्शन सतपथी और उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय सुशीला सतपथी ने रखी थी। तब से लेकर आज तक यह परंपरा बिना किसी बाधा के जारी है और अब यह आयोजन एक विशाल धार्मिक मेले का रूप ले चुका है, जो क्षेत्र की आस्था और संस्कृति का प्रतीक बन गया है।
ओडिशा की कीर्तन मंडलियां और झांकियां बढ़ाएंगी शोभा
रथ यात्रा के अवसर पर ओडिशा से विशेष रूप से आमंत्रित कीर्तन मंडलियां अपनी भक्तिमय संगीत प्रस्तुतियों से माहौल को और भी आध्यात्मिक बनाएंगी। साथ ही, अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक झांकियां भी यात्रा में शामिल होंगी, जो भगवान श्री जगन्नाथ की महिमा और भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाएंगी।
नौ दिवसीय धार्मिक महोत्सव और भव्य मेला
श्री जगन्नाथ मंदिर समिति दोकड़ा के सदस्यों ने बताया कि रथ यात्रा महापर्व केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक नौ दिनों तक चलने वाला महोत्सव होगा। इस दौरान मंदिर परिसर और दोकड़ा गांव में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और बाल व युवा प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जिससे पूरे नौ दिनों तक उत्सव का माहौल बना रहेगा।
रथ यात्रा के दौरान दोकड़ा में एक विशाल मेला भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय और दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु भाग लेंगे। इस मेले में मनोरंजन के साधन, विभिन्न प्रकार के खान-पान के स्टॉल, झूले, और हस्तशिल्प की दुकानें होंगी, जो सभी उम्र के लोगों को आकर्षित करेंगी।
यह रथ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दोकड़ा गांव की संस्कृति, परंपरा और सामुदायिक एकता का एक जीवंत उदाहरण बन गई है। आयोजन समिति की ओर से सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक उत्सव का हिस्सा बनें और पुण्य लाभ प्राप्त करें।